


About प्रभु सेवामृत
जीवन के किसी ना किसी मोड़ पर भगवान श्री हरि प्रत्येक मनुष्य को एक उद्देश्य प्रदान करते हैं जिससे की उसका मानव जन्म सार्थक हो जाये |
ऐसे ही एक पारमार्थिक उद्देश्य का नाम है प्रभु सेवामृत जिसमे बेसहारा,अनाथ और दीन-हीन,समाज के उपेक्षित लोगों को अपनी सेवा से समाज में सभी की तरह जीवन जीने की कला से ओत प्रोत करना है |मन से,वाणी से अपने सत्कर्म से, अपनी सेवा से किसी के जीवन में प्रसन्नता लाना ही हमारा उद्देश्य है |
प्रभु सेवामृत के कुछ कार्य जो प्रगति पर हैं
हमारे साथ जुड़ें भक्ति, करुणा और सेवा को बढ़ावा देने के लिए आध्यात्मिक कथाओं और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से। और हमारे सनातन धर्म का प्रचार करने में सहायता करें।






महाराज जी का जन्म 19 फरवरी 1984 को हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा महर्षि महेश योगी वैदिक आश्रम, प्रयागराज में हुई, जहाँ उन्होंने वेदों और उपनिषदों का गहन अध्ययन किया। इसके बाद से, उन्होंने 50 से अधिक भागवत कथा और राम कथा का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने भक्तों को गहन आध्यात्मिक ज्ञान और जीवन के महत्व के बारे में बताया।
महाराज जी का मानना है कि भक्ति और सेवा के माध्यम से ही समाज में सच्ची खुशी और संतोष प्राप्त किया जा सकता है। "वर्तमान में महाराज श्री प्रभु सेवामृत ट्रस्ट के माध्यम से लोगों की सेवा कर रहे हैं और आप सभी से भी आग्रह कर रहे हैं कि विभिन्न धर्म, जाति, समुदाय, दीन-दुखियों और समाज के अपेक्षित लोगों को सकारात्मक जीवन जीने हेतु आप सभी से सहयोग की आवश्यकता है।" वे जरूरतमंदों की मदद करते हैं और समाज में भक्ति, करुणा और सेवा की भावना को बढ़ावा देते हैं। उनके प्रेरणादायक कार्यों के माध्यम से, वे अनेक लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला रहे हैं।








About आचार्य शम्भु शरण जी महाराज
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